“पलाश : किंशुक के, फूल, टेसू के रंग व ढाक के पात वाला पेड़”

होली जब आती है, रंगों की बात छेड़ती है, तब टेसू के फूलों के रंग की बात छिड़ ही जाती है। होली जितनी रंग की है, उतनी ही आग की होलिका दहन के…

“रंग : जो स्त्रीलिंग न हुए”

प्रकृति ने बहुविध रंग दिए हैं। संस्कृति ने उसे बहुगुणित करना सीखा. संस्कृति ने जिससे सीखा, वह संभवतः स्त्री होगी. स्त्री ने जहाँ से सीखा होगा, संभवतः फूल होंगे या फिर फूल बनना…